sunday
दिन की शुरुआत ठीक ही रही ..दो की जगह चार अख़बार पढने को मिले times of india
ने saturday को एक स्पेशल issue निकला है ठीक है ..गुनगुनी धुप मैं मन तो यही कर रहा था की अख़बार पढ़ते पढ़ते सो जाऊं
पर हर किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता ..pump जाना मजबूरी है ...
.इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके जुर्म हैं
आदमी या तो जमानत पर रिहा है या फरार....
आप जब किसी सिस्टम मैं काम करते हैं तो एक अलग बात होती है जब लोग आपके सिस्टम
मैं काम करते हैं तो आप को लगातार जागना होता है ..कभी कभी सिस्टम की पहरेदारी करते करते
मन थक जाता है और झल्ला के जी करता है की जो हो रहा है सो होने दो ,सब छोड़ कर फुर्सत के रात दिन तलाशने निकल पड़ो
पर माया....जी हाँ माया .चैन कब लगने देती है ..माया का दूसरा अर्थ मोह भी है जो पैसे से ज्यादा खतरनाक तरीके की माया है
अपने सिस्टम का मोह ..उस पर की गयी मेहनत का मोह ..उसी मोह में अपने सिस्टम को बचाने और चलाने
के लिए हम दिन रात मरते और खपते हैं यहाँ नौकरी और व्यापार के बीच पतली किन्तु गहरी लकीर है ..एक में सिस्टम follow करना
है दुसरे में सिस्टम को follow करवाना है ..दूसरा पहले से कहीं कठिन है.. पर एक अच्छी टीम का होना दोनों ही परिस्थितियों में भाग्य पर निर्भर करता है
हाँ नियंत्रण दोनों में हो पर...
जरुरत से जियादा बंदिशें वेह्शत बढाती है
इसी वेह्शत में तो दरिया किनारे तोड़ देते हैं ..
सो सोचा pump तो जायेंगे पर टहल कर लौट आएंगे बिना किसी को डांटे फटकारे बिना किसी की कमी निकाले...इसका भी एक अलग सुख है.