बधाई दो , दुहाई दो
मगर मुझको रिहाई दो
दिखे हैं जख्म दुनिया को
कभी तुम भी दिखाई दो
हमें शनासाई ने मिटा डाला
तुम मोहब्बत की सफाई दो
करोगे किस तरह रुस्वा
रहम करके बता ही दो
इलाज हो नहीं जिसका
भला कर क्यों दवाई दो
मेरे मिसरे पे मत हँसना
ख़यालों को रसाई दो
सुमति
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