yatra

Wednesday, January 13, 2010

कभी टूट पड़ना
कभी टूट कर गिर पड़ना
कभी घमासान मचाते विचारों की चिल्ल पौं
और कभी कातरता से दिवार पे टंगी उस की तस्वीर से दो चार होना
मानो गुस्से ने भी अब आने से इंकार कर दिया हो और ये कह के अलग बैठ जाये की तुम्हारी परेशानी मैं भी दूर नहीं कर सकता अपने आप से जंग होते किसी ने देखी होगी वो ही इसे समझ पायेगा ...जब खुद हम अपने आप से नाराज रहते हों तो ...अपने आप से अपने लिए समय मांगते हों .. .खुद को ही टरकाते हों ॥
...........अभी हाल में एक फिल्म देखी... short cut to happiness...क्या आप एक ऐसे माहौल में रह सकते हैं जहाँ आप के achivement कुछ भी नहीं.........आप के project fail की श्रेणी मैं हों .......आप flop हों ..idealess हों ..पर लोग आप के इर्द गिर्द रहें आप के fan हों आप पर मरते हों पैसा आये शोहरत बढे popularity मिले स्टार बन जाएँ ........किन्तु आप ये जानते हों की मैं myself is a flop .... समाज को कुछ भी योगदान नहीं है मेरा ..सोचिए हैना.... भयावह condition ...वो एक hypothetical condition नहीं है । मैं ऐसे लोगों को जनता हूँ जो ... shortcut to happiness ...जैसे ही हैं। पर ग्लानी नहीं होती उन्हें ...और में पूरा होने को परेशां रहता हूँ ....धर्म से पूरा कर्म से से पूरा ..मर्म से पूरा होने को .... से लम्बी यात्रा की आपनी परेशानियाँ हैं ।
आप to बस सुन लो ...समझना चाहा तो सर दर्द हो उठेगा ...anyway goodnight

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