yatra

Friday, December 5, 2014

जिया

जो मेरे नसीब की हद है
जो मेरी खुशी का आखिरी मुकाम है
जो रौनक ए हयात है मेरी
जिससे  सारी कायनात है मेरी
मै उसके  नाज़ ओ नखरों ही से आबाद हूँ
मैं उसकी जिद्द ओ जिरह से ही शादाब हूँ