yatra

Tuesday, January 12, 2010

23 नवम्बर से काफी टाइम हो गया ,,,
कुछ थोड़े बहुत काम कर लिए
कुछ सच छुपा लिए
कुछ झूठ बोल लिए
कुछ बहाने बुनलिए
कुछ पैसे जोड़ लिए
कहीं थोड़ी बहुत देर को चलेगये
और
कहीं से उकता के भाग आए
to कहीं से घबरा के भाग आये ,
,,दिन तो कट गए ...
par बोझ नहीं घटे
,मन वैसे ही भारी ..गुम सुम ..कुछ तलाशता सा ॥
रिश्तों पर धूल की परत और मोटी हुई
वे कुछ और ज़मी दोज हुए
हम खलबलाये भी पर
कुछ लोगों का ध्यान भी शायद उधर न गया ..... खैर
बारामासी पढ़ डाली ।
अजमेर हो आए ।
पापा के लिए कार खरीद ली ।
मम्मी अब कहती हैं बेकार खरीद्ली ॥
बीबी के भाई का फ़ोन नहीं उठाया ,,
,सास ने शायद .शायद ..लखनऊ बुलाया ॥
income tax के पेपर तैयार नहीं हों पाए ॥
स्टाफ भाग गया ॥ genrator ख़राब हो गया
घर पर पुताई लगवा दी मन गन्दा हो सा रहा था ..
.ठीक ठीक पता नहीं .....
या पता ही ठीक नहीं .....सांसें चलती रही ॥
जिंदगी का क्या सोचना ॥ चली तो ठीक न चली तो ............ i quit ....

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home