नज़र लग गयी
हमें खबर थी तुम्हें खबर थी
मगर बे खबर जहाँ था सारा
हुए जो हम बे खबर जहाँ से
जहाँ को सारे खबर लग गई
तमाम बंदिश तमाम बातें
तमाम दिन तक तम्माम रातें
गुजरनी मुश्किल तमाम सांसें
ये कैसी आफत गले लग गयी
जहाँ को कैसे खबर लग गयी
वो हमको कब पूंछते थे ऐसे
हम उनकी नज़र में ही कहाँ थे
अलम के सारे चिराग रोशन
की सारी बस्ती ख़ुशी का आलम
मगर जहाँ को बुरी लग गयी
ख़ुशी हमारी खुशी तुम्हारी
नज़र लग गयी
सुमति
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