yatra

Friday, July 17, 2020

नज़र लग गयी

हमें खबर थी तुम्हें खबर थी 

मगर बे खबर जहाँ था सारा 

हुए जो हम बे खबर जहाँ से 

जहाँ को सारे खबर लग गई 


तमाम बंदिश तमाम बातें 

तमाम दिन तक तम्माम रातें 

गुजरनी मुश्किल  तमाम सांसें 

ये कैसी आफत गले लग गयी 

जहाँ को कैसे खबर लग गयी 


वो हमको कब पूंछते थे ऐसे 

हम उनकी नज़र में ही कहाँ थे 

अलम के सारे चिराग रोशन 

की सारी बस्ती ख़ुशी का आलम 

मगर जहाँ को बुरी लग गयी 

ख़ुशी हमारी खुशी तुम्हारी 

नज़र लग गयी 

सुमति 

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