yatra

Friday, July 17, 2020

बारदरी

जेहन की बारादरी में

 उतर के देखो तो 

मिलेंगे दरीचे कई गुमसुम से ,

 हताश कोनो पर बैठे हुए 

कई बुझे अरमां 

और मिलेंगे तमाम 

शिकश्ता उम्मीद के दिये

 वीरान अंधेरों में रोते हुए 

पर मगर 

खिल उठेंगे  फूल फिर दलानो में 

महज़ तुम्हारे पैर रखते ही ..

बस एक बार उतर के देखो तो 

जेहन की बारादरी में 


सुमति 

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