क़ज़ा
मौत का दिन भी
कैसा दिन होगा
चल के जाऊंगा उस तक
या धर दबोचेगी किसी मोड़ पर
गिरेगी बिजली या
यूँ ही सांस उखड़ जाएगी
रूह कांपेगी या ठहर जाएगा ये मन
आँख में आखरी तस्वीर किसकी होगी
और जुबान पर वो नाम आखिरी क्या होगा
आखिरी वक़्त की वो आखरी तमन्ना क्या होगी
आखिरी लम्हें कितनी देर तक आखिरी होंगे
इस नाम की क्या कोई पहचान बचेगी
सूरत राख होने के बाद भी ...
मौत के बाद भी क्या शिकवा बचेगा कोई
खाली बैठूंगा या करूँगा कारोबार कोई
या यूँ ही गुम हो जाऊंगा हवाओं मैं
कोई रिश्ता जुड़ेगा किसी से मिटटी होने के बाद भी
या यूँ हि निशाँ मिटजायेंगे मिट्टी होते ही
या हवा होजायेगी पहचान सारी
वो मौसम क्या होगा
दिन होगा की रात होगी
धुप होगी या बरसात होगी
खारे पानी की
कुछ भी तो नहीं मालूम
मालूम है तो बस ये की
जब मैं आखिरी सांस तक पहुँचूगा
वो सांस मैं तुम से लूंगा
आखरी वक़्त मेरे पास तुम होगी
नहीं मालूम
मौत का दिन भी कैसा दिन होगा
बस इतना मालूम है
ज़िन्दगी के पहलु मैं मेरी मौत होगी
सुमति कैसा दिन होगा
चल के जाऊंगा उस तक
या धर दबोचेगी किसी मोड़ पर
गिरेगी बिजली या
यूँ ही सांस उखड़ जाएगी
रूह कांपेगी या ठहर जाएगा ये मन
आँख में आखरी तस्वीर किसकी होगी
और जुबान पर वो नाम आखिरी क्या होगा
आखिरी वक़्त की वो आखरी तमन्ना क्या होगी
आखिरी लम्हें कितनी देर तक आखिरी होंगे
इस नाम की क्या कोई पहचान बचेगी
सूरत राख होने के बाद भी ...
मौत के बाद भी क्या शिकवा बचेगा कोई
खाली बैठूंगा या करूँगा कारोबार कोई
या यूँ ही गुम हो जाऊंगा हवाओं मैं
कोई रिश्ता जुड़ेगा किसी से मिटटी होने के बाद भी
या यूँ हि निशाँ मिटजायेंगे मिट्टी होते ही
या हवा होजायेगी पहचान सारी
वो मौसम क्या होगा
दिन होगा की रात होगी
धुप होगी या बरसात होगी
खारे पानी की
कुछ भी तो नहीं मालूम
मालूम है तो बस ये की
जब मैं आखिरी सांस तक पहुँचूगा
वो सांस मैं तुम से लूंगा
आखरी वक़्त मेरे पास तुम होगी
नहीं मालूम
मौत का दिन भी कैसा दिन होगा
बस इतना मालूम है
ज़िन्दगी के पहलु मैं मेरी मौत होगी