please वापस आओ
तमाम मुश्किलों का एक ही हल है
अकेले हो जाओ ,
मिलो किसी से न किसी को हाल ए दिल ही बतलाओ
अकेले हो जाओ
गर्दिशों में जब कभी दामन तुम्हारा फँस जाए
जब किसी बात से दिल तुम्हारा धँस जाए
जब रोना तुम्हें अपनी ही हर एक बात पर आए
किसी की बेरुख़ी जब तोड़ दे दिल को तुम्हारे
ना मालूम हो कि अब हो तुम किस के सहारे
तुम्हें जब मितलियाँ नाम पे रिश्तों के आए
किसी की बेरुख़ी जब कभी बेहद सताए
अंधेरे की तुम्हें जब ज़िंदगी लगने लगे प्यारी
दुश्मनों से जब कभी होने लगे यारी
और किसी की दोस्ती पड़ने लगे भारी
लगे जब ज़रूरत कहीं पर नहीं है तुम्हारी
यक़ीन मानो यही वो पल है
तुम्हारी मुश्किलों का एक ही हल है
मत घबराओ ......अकेले हो जाओ
सुमति
मैं तुझे छोड़ कर
जुड़ता रहा कई नाम से
ज़िंदगी ले चली मुझे काम से
मिले रिश्ते कई इफ़रात में
बने ताल्लुकात भी जज़्बात में
मैंने ओहदा दिया सभी को कुछ
तलाशा चाहतों को उनमें बहुत ,
मगर लगने लगा है मुझको अब
मैंने बुन लिया है एक दाम* को [जाल]
जिसमें धागे हैं कई नाम को
वो मुझे बचाए हैं कि फँसाए हैं
दिन रात के वो जो साये हैं .
...पर
चाहतों का जो तू सैलाब था
तू मुझे थामे था ,मेरा बचाव था
मेरा दम घुट रहा है इन दिनो
क्या सच में कोई मुझे बचाएगा
क्या तेरे बाद भी तुझसा
कोई मुझको चाहेगा .
सुमति
किनारे आ के दुखड़ा रो गए हैं
तल्ख़ दरिया के तेवर हो गए हैं
रात लहरों ने आपा क्या खोया
निसां साहिल के सारे खो गए हैं
जुनूँ शिद्दत दुआएँ आरज़ू आहें
यहाँ तक आते आते सो गए हैं
दाग यूँ तो दामन पर बहुत थे
यार अपने लहू से धो गए हैं
नहीं क़ाबू में मुहब्बत हमने माना
बर्बादी खुद की ही हम बो गए हैं
वापसी उनकी तो मुमकिन नहीं है
हिरन सोने का लेने जो गए हैं
तुम्हारा नाम ले के चल पड़े जो
पत्थर पानी पे बहके वो गए हैं
मिला लो मुझसे अब अपनी हस्ती
मेरे अरमां सारे ख़ुदकुशी को गए हैं
वो जिसका नाम लेकर जागना था
हम उसी का नाम ले कर सो गए हैं
सुमति
रवायतें
कुछ मुख़्तसर सी हिदायतें
कुछ बेअसर सी कवयातें
उस पे भी मेरी हाँ है
क्यूंकि वो जो माँ है
बड़ी अजीब है .
सुमति