yatra

Tuesday, January 28, 2020

 जेहन की बारादरी में
 उतर के देखो तो 
मिलेंगे दरीचे कई गुमसुम से ,
 हताश कोनो पर बैठे हुए 
कई बुझे अरमां 
और मिलेंगे तमाम 
शिकश्ता उम्मीद के दिये
 वीरान अंधेरों में रोते हुए 
पर मगर 
खिल उठेंगे  फूल फिर दलानो में 
महज़ तुम्हारे पैर रखते ही ..
बस एक बार उतर के देखो तो 
जेहन की बारादरी में 

उतर के देखो तो 

सुमति