जेहन की बारादरी में
उतर के देखो तो 
सुमति
    
    
 उतर के देखो तो 
मिलेंगे दरीचे कई गुमसुम से ,
 हताश कोनो पर बैठे हुए 
कई बुझे अरमां 
और मिलेंगे तमाम 
शिकश्ता उम्मीद के दिये
 वीरान अंधेरों में रोते हुए 
पर मगर 
खिल उठेंगे  फूल फिर दलानो में 
महज़ तुम्हारे पैर रखते ही ..
बस एक बार उतर के देखो तो 
जेहन की बारादरी में 
सुमति
