जो मेरे नसीब की हद है जो मेरी खुशी का आखिरी मुकाम है जो रौनक ए हयात है मेरी जिससे सारी कायनात है मेरी मै उसके नाज़ ओ नखरों ही से आबाद हूँ मैं उसकी जिद्द ओ जिरह से ही शादाब हूँ
posted by sumati @ December 05, 2014 0 Comments
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