यु ही बस कुछ ख़ास नहीं
दिन और रात के फेरे सुबह.... और....सुबह - शाम के काम समय के पहिये पे लिपटा- चिपटा आदमी कहाँ चलता जा रहा है कुछ पता नहीं लगता ....
...... .................कोफ्त से भरे मन और थकान से टूटे हुए तन क्यूँ चलते जारहे हैं पता नहीं..... पता येभी नहीं है की कब तक चलना है ....साथ चलता हुआ दिखाई देनेवाला आदमी कितना आपके साथ चल रहा है पर .......
हमें भी और उसे भी ये ऐतबार करना है की हम साथ-साथ हैं ।
पंडित जी को गोली मार दी वो दुनिया के हितेषी बन कर चल रहे थे भावुक और भोले मन के पंडित जी न जाने कब से अपनी कुंडली के कालसर्प योगे को पढ़े नहीं और हादसा गोली लगने से बड़ा ये हुआ की.... गोली लगने के बाद वो बचे ......ये देखने को.... कि जिनके ग्रह शांत करने को उन्होंने घंटों माथ्पछियाँ की थीं वो एस HAADSE के बाद उनके पास आने से पहले किता गुंडा भाग करते हैं । हम दुनिया जोड़ कर चल ने के पीछे पागल हुए जाते हैं.....और पता नही .. पता नहीं कब कोई गोली कहीं से निकले और सीना फाड़ दे या कोई ट्रक ड्राईवर आर टी ओ से बच कर दौड़ता हुआ बगल से हमें चपेट मैं लेता हुआ निकल जाए । खुश हो कर जीना हम ने कब सीखा है । हम जिस से बोलना बतलाना चाहते हैं उसे हमारा पास आना पसंद नहीं और जो हमारे पास आना चाहे हम उस से कटे कटे से रहते हैं ...बस मैं इतना जानता हूँ कि आदमी अपनी छाप दुनिया के हर जीवित और अजीवित वस्तु पर छोड़ना चाहता है लेकिन उल्टा सीधा वो सब कर बैठता है जिस से उसके निशाँ भी बाकी नहीं रह जाते .....
चलो कुछ करते रहो .......वरना PICHHE किए को देखो GE और PACHHTAOGE
YATRI