बहुत कुछ soach ta hun
लगभग एक महीने से जादा गुजार कर आया हू वैसे कोई बड़ा काम नहीं किया इन दिनों पर बड़ा काम किए बिना एक महीना गुजार देना मुझ जैसे के लिए एक बड़ा काम ही है ।
हर रोज़ लम्हों मैं खताएं करते रहना और......
.... घंटों मैं पछताना ही मेरी अपने लिए पहचान है
गोया ....
चाँद पे थूक कर मुहं पोछना ...जैसे
.. धोका खा कर समझ आना की धोका फ़िर हुआ है .....
रात कोहरे मैं घिरी तो याद आया ...
चाँद तारे रौशनी और चांदनी
gungunahat जिस्म की और अनसुनी
वो सदायें आपसी , घुलमिल गयीं
हाँथ थामे उँगलियों की कसमकस को
पाओं से मैंने टटोला आपको
और एक uljhan भरी dopehar से तुम ...
हो कहाँ, रहकर यहाँ , कुछ तो बताओ
पास बैठो ,मुस्कराओ , गुनगुनाओ
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