yatra

Monday, August 4, 2008

खुन्नस

आज झरस मैं दिन भर एक जगह बैठे बैठे यात्रा की ,और बस कुछ नहीं... कभी -कभी मन अपने आप से पैरों मैं ऐसी बेडियाँ बाँध लेता है की उनका वज़न देख कर ही पैर उठाने के हौसले पस्त हो जाते हैं .ये मेरा मन ख़ुद से करता है .कोई और कहे तो शायद ..कभी न माने ...बस ..आज भी यही हुआ सुबह उठकर मन ने विरोध कर दिया की आज नहाना धोना नही है और ये क्या रोज़ रोज़ के अहदे सितम हैं की हमें कुल्ला करना ही है ,नही करते जाईये हम बास मारेंगे आपकी दस बार फंसे तो हम तक आइये ...हम अपने आप से बरहम है ...जरुरी नही की हम इसका तस्किरा करें...हम ने कहा न आज दुनिया पे एहसान करने का दिल नहीं है ....तो इस झरस में कलम से सफर शुरू करदिया जो दातुन से होता था ....बज़ाहिर है की ये सफर इस से ज्यादा तल्ख़ क्या होसकता था---

निगाहे प्यार से देख तुम्हें दिलकश नजारों ने

मुझे नफरत से देखा आसमान के सारे तारों ने।

हजारों अफ्ताबों से तेरा रोशन जहान होगा ,

यहाँ बज्म-ऐ-चिरागां फूँक डाली है हमारों ने ।

बहुत ही मुस्तकिल अंदाज़ में हम क़त्ल होते हैं,

कहाँ गर्दन बचा पाई मोहब्बत के शिकारों ने।

तुम्हारा नाम लेकर आसमान तारीख गढ़ता है ,

दिए हैं हम को तो बस क़र्ज़ मांझी के उधारों ने ।

तुम्हारी नज़्र के काबिल कहाँ वो चार लम्हे thae ,

chhupa rakkha hai अरसे से जिन्हें दिल की दरारों ने।

आज बस इतनी ही खुन्नस है...और आप अपनी खुन्नस निकालना चाहें तो ऊपर लिखी लाइनों पे निकालें तब तक मैं कुल्ला करके आता हूँ॥

यात्रा अमर रहे।

भले यात्री जान से जाए ..

4 Comments:

Blogger Pawan Kumar said...

dearest sumati
Ghazal acchi hai.Dil se likhi har baat acchi lagti hai. waise bhi kya zaroori hai ki hamesha kisi niyam kayde se bandh kar apni zindgi jee jaye. Bandhan todne ke liye aap badhai ke patra hain.

August 5, 2008 at 9:53 AM  
Blogger Dr. Ravi Srivastava said...

aansu mein naa dhundhna hame,
hum tumhe aankhon mein mil jaayenge,
tamanna ho agar milne ki to
band aankhon se bhi nazar aaenge.

aap mere blog par aaye, shukriya.
...Ravi

August 5, 2008 at 11:40 AM  
Blogger मनीषा said...

Dear sumati,
"VIRODH" bada hi pyara shabd hai ye ,in englishit is caled rebel . very important thing about this is that when you revolt then you become special ,every one starts noticing you . you know why? because you are doing something unique and out of trend . It is good to be a rebel because its gives you an importance in the eyes of others and you feel energetic. Its not that every time you are right but most of the times .when you rebel? when you desperately want to go out of routine or when you fed of regular things ,then only you do. in my point of view its good to have rebels as its gives life o the already ,so called existing life.......... you will enjoy it. go ......GET REBEL AND HAVE FUN.

August 6, 2008 at 9:20 PM  
Blogger राज भाटिय़ा said...

बहुत अच्छा लगा, ओर आप की गजल भी भाव भरी लगी, थोडी मजाकिया भी, धन्यवाद

August 6, 2008 at 10:27 PM  

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