yatra

Sunday, August 17, 2008

दो दिन .....

दो दिन गुज़रे ... हम ऐतबार मैं थे
...किसी सबब से दुनिया की सब balayen
अपने अपने दडबों को कूच करगयी हैं...और इत्मिनान इस बात का है की हम से साथ चलने ki जिद्द भी नहीं की ....वे यूँ गयीं की लगता था पलट कर मुंह न देखेंगी हमारा .लेकिन ..फ़राज़ का वो शेर यहाँ सटीक लगता है.....

रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे छोड़कर जाने के लिए आ ।
......हम उन्हें ख़ुद सदा देते हैं
(और फिर ठीक वैसा ही लगने लगा जैसा फ़राज़ ने इसी ग़ज़ल के अगले शेर मैं लिखा है.....)

एक उम्र से हूँ लज्ज़ते-गिरया से भी महरूम,
ए राहते- जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ ।

तसल्ली बख्श उम्र का दौर बस कभी का guzar चुका लगता है ....भाग दौड़ की इस ज़िन्दगी मैं दो दिन निकल भी आयें तो फिर फितरत ही ऐसे बनगई लगती है की वापस फिर उसी ज़िन्दगी के भाड की तड़प सताने लगती है जहाँ बालू की तपिश मुझे चने की तरह उछाल-२ के भाड़ से बाहर भागने को मजबूर करती है और मेरी किस्मत ,मेरी नियति फिर उसी बालू mai पटक देती है । १४,१५ मेरे hisab से कुछ behtar दिन thai .....खाने और sone को rasm adaygi की तरह न करके अपने hissab से किया .कुछ aalu जो uble हुए frij मैं पड़े thai और khatta mattha जो almost bekar ही था pattni जी ने मेरे disposal per छोड़ दिए .मैंने matthe के aalu बनाये और बड़े प्रेम से खाए भी...अगले दिन देर से jage होने के bavazud देर तक बिस्तर per पड़ा रहा.edhar से udhar lotta रहा। अगले दिन कुछ मित्रों से mulakat ,जो zindgi के vyapar मैं sundry creditors की तरह हो गए हैं , की । बस फिर vahi ..........kashmakash भरी ....per अभी तो लम्बी duri tai होनी है sazo saman की hifazat मैं sara वक्त jaya kardene मैं hoshiyari कहाँ manta हूँ .....per होता jaya ही है। मेरे अपने nazariye से बिल्कुल beza hai

ज़िन्दगी यूँ तो हमेशा से pareshan si थी,
अब तो हर साँस girabar हुई jati है ।

बस दो दिन ही guzre हैं की लगता है की वो... "दो दिन" meelon pichhe chhut गए हों ojhal होते दिखाई daete
हैं......

yatra के padav ...अभी और भी

5 Comments:

Blogger Pawan Kumar said...

Bhai kya khoob likha hai.Ahmad faraz ki ghazal ke sahare apni baat isharon se kahne ko saadhuwaad....mujhe apna wada yaad hai isi saptaah poora ho jana chahiye.

August 19, 2008 at 9:31 PM  
Blogger राज भाटिय़ा said...

बहुत ही मजेदार, फ़िर इतने खुब सुरत शेर, धन्यवाद

August 22, 2008 at 11:36 PM  
Blogger rakhshanda said...

bahut khoobsoorat...thanks

August 23, 2008 at 11:32 AM  
Blogger Pawan Kumar said...

yatri thak gaya hai kya 17 aug ke baad ab tak koi nayee post nahi aur commemt bhi nahi kar rahe.

August 24, 2008 at 3:21 PM  
Blogger राज भाटिय़ा said...

जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई

August 24, 2008 at 10:39 PM  

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