तीन ghante
तीन घंटे बजे तो ध्यान गया रात के ३ बज चुके हैं ,और इस सोफे पर बैठे बैठे मुझे तक़रीबन साढे चार या पाँच घंटे हो चुके हैं ।
मैं बहुत कुछ सोचता हूँ .बोलता भी हूँ मगर ...
आँख भर आती है जुबाँ तालू से सिल जाने के बाद
और हसरत पूंछने वाला कोई नहीं .पा के अपने पास... मैं
बाहें पसरे daudta हूँ भागता हूँ बे हिसाब ,
छोड़कर ख़ुद को चला जाऊँ कहाँ ...
नींद आजाये जहाँ......
1 Comments:
sir,
lagta hai teen ke ghante se kuch jyada hi pyaar hai apko , uske aage to badhiye
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