yatra

Friday, July 17, 2020

बेचारा

बुझ जाए एक तारा 

चमकता ये जहाँ सारा 

मुनासिब सी वजह देकर 

दिल से ग़म था उतारा 


किसी की रोशनी का खून करके 

हम उजालों की पनाहों में चले आए 

कोई बना फिरता है एक क़िस्सा  

हर एक नज़र में बन के बेचारा 


सुमति 

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