yatra

Friday, July 17, 2020

मौत का दिन

मौत का दिन भी 

कैसा दिन होगा 

चल के जाऊंगा उस तक 

या धर दबोचेगी किसी मोड़ पर 

गिरेगी बिजली या 

यूँ ही सांस उखड़ जाएगी 

रूह कांपेगी या ठहर जाएगा ये मन 

आँख मैं आखरी तस्वीर किसकी होगी 

और जुबान पर वो नाम आखिरी क्या होगा 

आखिरी वक़्त की वो आखरी तमन्ना क्या होगी 

आखिरी लम्हें कितनी देर तक आखिरी होंगे 

और फिर क्या इस नाम की कोई पहचान होगी 

सूरत ख़ाक  होने के बाद ...


मौत के बाद भी क्या शिकवा बचेगा कोई 

खाली बैठूंगा या करूँगा कारोबार कोई 

या यूँ ही गुम हो जाऊंगा हवाओं में मैं 


मौत के बाद भी 


कोई रिश्ता जुड़ेगा भी किसी से मिटटी होने के बाद 

या यूँ हि निशाँ मिटजायेंगे मिट्टी होते ही 

या हवा हो जायेगी पहचान सारी 

वो मौसम क्या होगा 

दिन होगा की रात होगी 

धुप होगी या बरसात होगी 

खारे पानी की 


कुछ भी तो नहीं मालूम 

मालूम है तो बस ये की 

जब मैं आखिरी सांस तक पहुँचूगा 

वो सांस मैं तुम से लूंगा 

आखरी वक़्त मेरे पास तुम होगी 


नहीं मालूम 

मौत का दिन भी कैसा  दिन होगा 

बस इतना मालूम है 

ज़िन्दगी के पहलु में मेरी मौत होगी 

सुमति 



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