yatra

Wednesday, July 11, 2012

रात के इस  पहर अकेला है  
कश्तियाँ ले चलो समुन्दर में 
चाँद को रौंद  कर  के आते हैं 
आसमां ताकते तो उमर गुजरी


सुमति


हर लिहाज से उम्दा  तू  मुझ से ठहरेगा 
फिर बता बीच  हमारे ये सिलसिला क्या है 
सुमति 

5 Comments:

Blogger रश्मि प्रभा... said...

वाह ...

September 4, 2012 at 10:16 AM  
Blogger रश्मि प्रभा... said...

http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/09/blog-post_4.html

September 4, 2012 at 10:28 AM  
Blogger deepakkibaten said...

badhiya

September 4, 2012 at 11:31 AM  
Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

वाह....
बेहतरीन कविता....

बहुत सुन्दर!!!
अनु

September 4, 2012 at 11:47 AM  
Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

और भी बहुत सी कवितायें पढीं....

बहुत अच्छी लगीं.

अनु

September 4, 2012 at 11:50 AM  

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