एक कप चाय और दिल्ली का रास्ता
एक कप चाय और दिल्ली का रास्ता ...........
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इस ब्लॉग का टाइटिल अपने आप मे एक पूरा ब्लॉग है par
आप के पढने को नहीं ...मेरे याद रखने को.
खैर मैं ये मानता हूँ कि जीवन में बहुत कुछ भूल ने के लिए घटता है .
ये अलग बात है कि वो ही सब से ज्यादा याद रहता है.
"बहुत खुद्दार होकर जिंदगी मैं..
जी नहीं पाया
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मगर हर पल मुसलसल जानता ....ये था
मेरे माने बहुत कम है ,
मेरी हस्ती बहुत कम है,
मगर तुम ने जता कर और भी
....अच्छा किया मुझ पर "
....अच्छा किया मुझ पर "
सुमति
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