yatra

Tuesday, October 4, 2011

जगजीत सिंह

 एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है..
 अपनी आग को जिंदा रखना कितना मिश्किल है
    ग़ज़ल और जगजीत सिंह समझ में   जवानी आते ही आने लगे थे ..... बिलकुल  पहले प्यार की तरह 
मेरी शख्शियत से लिपट गए और मैं उनकी आवाज़ का इस  तरह कायल होता गया
जैसे किसी और सिंगर  को सुनना काफ़िर होने जैसा हो .....

मुझे ये रोग .... देने वाला मेरा अज़ीज़ दोस्त रहा विशाल वाधवा 
उस से दोस्ती टूट गयी पता नहीं क्यूँ ...........'''''''..मेरे  ,अंशुल दीवान और विशाल वाधवा के साथ ही जगजीत सिंह कब हमारी तिकड़ी मैं शामिल होगये पता ही नहीं चला वो बेहतरीन तीन साल जब हम तीनों नें पूरे कॉलेज में किसी भी लड़के लड़की को घास नहीं डाली और तय  था की कोई भी साला या साली
 इसमें घुसने की कोशिश करेगा तो रायता इस तरह फैलादिया जाये की वो  समेटने में ही सिमट जाये  
.........सोनम धारीवाल नाम था उस लड़की का   मिस शिमला ...लम्बी  डस्की  आवाज़ में आर्मी की नजाकत पूरी तरह  थी .... मुझ को  उसने सब से पहले  अप्प्रोच किया तय शर्तों के मुताल्बिक मै उस से एहतियातन दूर था.. पर बाकी के  दो इस बात को नहीं मान सकते थे और कुछ दिनों में विशाल उसके गिरफ्त में था और हमरी अप्प्रोच से दूर ....... खैर .... 
deviation 
जगजीत सिंह को हम ने सबसे पहले   सुना आगरा महोत्सव में उनका लाइव कंसर्ट था
उसके बाद कई बार सुना ....कई बार और सुनने की तमन्ना दिल में है 

हमारी दोस्ती कब अंदर खाने से दरक गयी ....बिलकुल   पता नहीं चला 

मैं ने आगरा छोड़ दिया और लखनऊ आगया.... एक नयी यात्रा पर आगरा से साथ में मेरा  एक ही दोस्त आ सका जिसने मेरी जिंदगी  के  अगले संघर्ष के दौर मे मेरा  बहुत साथ दिया ...... जगजीत सिंह  ...
जिसे अब मैं फिर से सुनना चाहता हूँ .....

हजारों ख्वाइशें ऐसी कि हर ख्वाइश पे दम निकले .....

और 
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक .... 

कोई ठीक खबर नहीं लग पा रही है उपरवाला उन्हें लम्बी उम्र बख्शे
(दुआएं लीलावती हॉस्पिटल तक )
आमीन

सुमति



4 Comments:

Blogger Pawan Kumar said...

क्या कहूं और कहने को क्या रह गया....
नहीं रहे जगजीत साहब !!!!

October 12, 2011 at 3:59 PM  
Blogger Urmi said...

पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और उत्साहवर्धक टिपण्णी देने के लिए!
जगजीत सिंह जी के निधन का मुझे बहुत दुःख है! उनकओ मेरा शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि!

October 12, 2011 at 8:16 PM  
Blogger केवल राम said...

जगजीत जी के जाने से मन बहुत द्रवित है ....लेकिन यह भी सच है कि जीवन की नियति यही है इस पर हमारा कोई वश नहीं ....! काश हम सब की दुआ कबूल हो जाती लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था ....!

October 13, 2011 at 6:49 AM  
Blogger केवल राम said...

कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .

October 13, 2011 at 6:51 AM  

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