yatra

Wednesday, August 8, 2018

प्लूटो

मैं खुद को ढूंढने गया 
बहुत दूर तक गया 
निकल कर भीड़ से देखा 
हटा कर आसमान देखा 
ज़मीन के नीचे भी झाँका 
और लगायीं भी कई आवाज़ 
लगा न हाँथ कुछ भी 

ये यक़ीनन शोर करते लोग  
वज़ूद  टिकने नहीं देते 
लगा फिर यूँ कि मैं 
हुआ करता था जिन सफों में
अब उन सफों की दुरुस्ती हो रही है

जहाँ मैं दर्ज प्लूटो सा कभी था 
वहां से  नाम खारिज हो चूका है

>&*<$#
सुमति     


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