फरार
मेरी ज़िद्द है
कि वो लम्हें बरामद हों
जिन्हें तेरी ज़मानत पर
रिहा मैंने किया था।
वक़्त के स्याह पन्ने पर
मुचलका था भरा तूने
थी जिस पर गवाही
चाँद तारों रुत हवा और आसमां की
वो लम्हे हो गए हैं गुम
न जाने किस की शै पर
सुमति
कि वो लम्हें बरामद हों
जिन्हें तेरी ज़मानत पर
रिहा मैंने किया था।
वक़्त के स्याह पन्ने पर
मुचलका था भरा तूने
थी जिस पर गवाही
चाँद तारों रुत हवा और आसमां की
वो लम्हे हो गए हैं गुम
न जाने किस की शै पर
सुमति
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