yatra

Thursday, May 31, 2018

फरार

मेरी ज़िद्द है
कि वो लम्हें बरामद हों

जिन्हें तेरी ज़मानत पर
रिहा मैंने किया था।

वक़्त के स्याह पन्ने पर
मुचलका था भरा तूने

थी जिस पर गवाही
चाँद तारों रुत हवा और आसमां की

वो लम्हे हो गए हैं गुम
न जाने किस की शै पर

सुमति 






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