yatra

Thursday, July 26, 2018

चल सपनोँ से दूर चल



टूटे हुए दिल
 बिच्छड़े हुए लोग
ग़मज़दा सोहबतों की
बात कर

राहत की उम्मींद न दे
बैचेनियों की
बात कर


आस्तीनों में आँख रख
रोने धोने की
बात कर


भूल जा कोई
मिलने आयेगा
जो है उसे भूलने की
बात कर


जिसने छोड़ा है
यक़ ब यक़ ज़िंदगानी को
उससे न मेहरबानी की
बात कर


वो दौर था
वो जब शोर सा
दौडता था रगों में
चल अब भूल कर वो सब
कज़ा को बुलाने की
बात कर

टूटे हुए दिल
चल बात कर
 सुमति 

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