yatra

Thursday, May 24, 2018

चार साल के थके मांदे

  जाओ सो जाओ

 और 
 अपने जहन   को बिस्तर पर
सोता हुआ छोड़ कर चुपचाप चले आना
 हम तुम्हे आजादी देंगे ख्वाब  
बोने की....... 

वो ख्वाब जो तुमने दिन के  उजाले में  देखे हैं
वो खाव्ब जो  आँखों को गिरवीं रखकर पाले हैं 

वो ख्वाब जो दस्त ब  दस्त बिकते हैं
वो खाव्ब जो चौराहों पे लोग लिखते हैं 

वो ख्वाब जो हुकूमत के  फरमानो में  दाखिल हैं  

वो ख्वाब जो  इमकान ए  सहर पे ज़िंदा हैं 
वो ख्वाब जो हक़ीक़त से शर्मिंदा हैं 
और वो ख्वाब जो इन दिनों हर ओर चस्पा हैं 

हम तुम्हे आजादी देंगे ऐसे सारे  ख्वाब  
बोने की....... 


अगर तम सोचते हो हालिया तस्वीर बदलेगी 
अगर तुम सोचते हो धूप  फिर परबत से निकलेगी 
अगर सूरज के  हिस्से में  कमी तुम  को दिखाई दे 
 बगाबत की मुनादी जो कभी तुम को सुनाई दे 
महज़ ऐतबार तुम अपने ख्वाब  पर करना 

जिसे बोन की     हमने तुम्हें  
आज़ादी बख्शी है 
जिसे बड़े ही फ़क़्र से तुमने कमाया है 
जिसे हम   अक्क्सर 
    मन की बात कहते हैं ।

सुमति 














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