कहाँ था मैं ?
कभी यूँ भी खोजते हैं हम ! और फिर खुद को ढूँढना पड़ता है लोग कहते हैं की बनावटी पन नहीं टिकता मैं महसूस कर रहा हूँ ही अपना वजूद नहीं टिकता दिखाई देरहा है ..हम खोते जा रहे है और ढोते हैं रोज़ की "to do list'' को जो खत्म नहीं होती .. नहीं हो कर देती ..अपने आप को बार बार डूबते हुए गोताखोर की तरह पानी के ऊपर लाता हूँ और कोई gravitaional force है जो नीचे खींचता है आप क्या समझते हैं की मैं ख़ुशी से अपने ब्लोग्स से इतने इतने दिन दूर रहता हूँ । नहीं । थक कर चूर करदेने वाली दौड़ ..जो न दौलत की है न शोहरत की न न परिवार की न समाजकी ...बस सुबह से शुरू to do list को ख़तम करने की है जो अगली सुबह और बड़ी होकर सामने खड़ी नज़र आती है एक नोवेल लेकर बैठ कर तो देखो कितने दिन लगते है अब ...क्या था वो दौर जब एक नोवेल खत्म दूसरा शुरू दूसरा खत्म तीसरा शुरू और हॉस्टल का अपना कमरा ...bed के दाहिने और बाएं दोनों ओर एक एक नोवेल दबा रहता था .... मैं अल्केमी नहीं जानता पर ..इतना जानता हूँ .कि ..बनावटीपन होसकता है टिक जाये आज कल अपनी original personality दब रही है ..जरा . बताना तो ये hobby या likeing का मतलब क्या होता है ?...जल्दी लौट आया तो समझना की भेडें चराना ज्याद सकून देता है बनस्पद egipt के पिरामिडों के पार जा कर खजाना ढूंढने के .....
2 Comments:
इजिप्ट की जगह भेड़ चराने का जुमला खास पसंद आया......बात तो सही है कि यह जो "टू डू लिस्ट" है न यह आदमी को आदमी नहीं रहने देती आदमी को मशीन में बदल देती है.....मगर इस जीने की जद्दोजहद के बीच ही अपने शौकों को पालना है खुद को बनाये भी रखना है......!अभी खुद के बारे में नहीं सोचेंगे तो दस साल बाद यही कहेंगे
कभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है
कि दूजा नाम जीवन का रवानी है, रवानी है
बहुत सुंदर से इस एक्वेरियम को गौर से देखो
जो इसमें कैद है मछली,क्या वो भी जल की रानी है
घनेरे बाल, मूँछें और चेहरे पर चमक थोड़ी
यक़ीं कीजे, ये मैं ही हूँ, जरा फोटो पुरानी है
very well written, keep it up.
regards
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