resume
पिछली पोस्ट में एक नज़्म लिखी थी पर शायद नेट की वजेह
से पूरी-पूरी ठीक उतर नहीं पाई थी .
एक बार फिर कुछ तर्तीम कर के आप के नज़र कर रहा हूँ
उम्मीद है आप मेरी request पर गौर फरमाएंगे ......
tum मुझको बस इतने से काम पे रख लो ....
की जब भी सीने मे झूलता तेरा लोकेट ...
उलट जाये ..... तो सीधा करदूं
की जब भी आवेज़ा * तेरा बालों से .. (*topes / कुंडल)
उलझ जाये.......... तो सुलझा दूँ...
की जब भी सरे राह दुपट्टा तेरा....
अटक जाये ...... तो संभाल लूँ ..
मुझ को tum बस इतने से काम पे रख लो..
दुनिया तो न जाने क्या समझती है मुझे ।
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