ek छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता
जिंदगी मैं कभी ऐसे मोड़ आजाते हैं की हम दूर तक उनकी टीस पाले चलते हैं ..हमारा बहुत कुछ छीन जा ता है और कुछ मिल जाता है ...एक अँधा कुआं सा है एक बंद गली सी है....खैर छोडो ..मुद्दा ये है की जल्दी अगली पोस्ट का वादा करके गया था ...और बराए मेहरबानी ...सुबह की लखनऊ की ट्रेन के जो रात भर जागना था सो पोस्ट करने बैठ्गाया ...यूँ तो कई उलाहने मेल बॉक्स तक जा पहुंचे पर क्या करें ...६ को तो आप को बताकर ही गया था की जिम कॉर्बेट जा रहा हूँ ...फिर ११ को मैनपुरी ..१६ को लखनऊ जाना है यानी आज ...१७ को बुलान्द्शेहर ..२० को गुडगाँव....यात्रा ...यात्रा बस....यात्रा ...मन कहता है की....
मुझ को इतने-से काम पे रखलो
जब भी सीने मैं झूलता लोकेट
उलट जाये ..तो सीधा करदूं ।
जब भी aaweza (kundal) uljhe baalon से
use sulajh dun मैं apne haanthon से
जो garare मैं paon phans जाये
ya atke tera dupatta kisi bala से
use sambhalu ॥
बस mujhe इतने से काम पे rakh lo ....
8 Comments:
is naam ki vajah se yahan chali aai kyonki isse mera gahra rishta hai ,yahan aakar aapki rachna padhi achchha laga .
बहुत बदिया
"एक छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता"
....
"जब भी aaweza (kundal) uljhe baalon से
use sulajh dun मैं apne haanthon से
जो garare मैं paon phans जाये
ya atke tera dupatta kisi bala से
use sambhalu ॥
बस mujhe इतने से काम पे rakh lo ...."
पंक्तियाँ अच्छी लगीं.
welcome!
ek छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता
Sundar!
Tahe dilse swagat hai...
बहुत अच्छा लिखा है आपने!
जारी रहें.
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[उल्टा तीर]
bahut hi pyare aur masoom iltaja hai apki
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