yatra

Tuesday, February 16, 2010

ek छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता
जिंदगी मैं कभी ऐसे मोड़ आजाते हैं की हम दूर तक उनकी टीस पाले चलते हैं ..हमारा बहुत कुछ छीन जा ता है और कुछ मिल जाता है ...एक अँधा कुआं सा है एक बंद गली सी है....खैर छोडो ..मुद्दा ये है की जल्दी अगली पोस्ट का वादा करके गया था ...और बराए मेहरबानी ...सुबह की लखनऊ की ट्रेन के जो रात भर जागना था सो पोस्ट करने बैठ्गाया ...यूँ तो कई उलाहने मेल बॉक्स तक जा पहुंचे पर क्या करें ...६ को तो आप को बताकर ही गया था की जिम कॉर्बेट जा रहा हूँ ...फिर ११ को मैनपुरी ..१६ को लखनऊ जाना है यानी आज ...१७ को बुलान्द्शेहर ..२० को गुडगाँव....यात्रा ...यात्रा बस....यात्रा ...मन कहता है की....
मुझ को इतने-से काम पे रखलो
जब भी सीने मैं झूलता लोकेट
उलट जाये ..तो सीधा करदूं ।
जब भी aaweza (kundal) uljhe baalon से
use sulajh dun मैं apne haanthon से
जो garare मैं paon phans जाये
ya atke tera dupatta kisi bala से
use sambhalu ॥
बस mujhe इतने से काम पे rakh lo ....

8 Comments:

Blogger ज्योति सिंह said...

is naam ki vajah se yahan chali aai kyonki isse mera gahra rishta hai ,yahan aakar aapki rachna padhi achchha laga .

February 16, 2010 at 11:01 PM  
Blogger dr amit jain said...

बहुत बदिया

February 17, 2010 at 2:43 AM  
Anonymous Anonymous said...

"एक छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता"
....

"जब भी aaweza (kundal) uljhe baalon से
use sulajh dun मैं apne haanthon से
जो garare मैं paon phans जाये
ya atke tera dupatta kisi bala से
use sambhalu ॥
बस mujhe इतने से काम पे rakh lo ...."
पंक्तियाँ अच्छी लगीं.

February 17, 2010 at 12:22 PM  
Blogger मनोरमा said...

welcome!

February 17, 2010 at 2:05 PM  
Blogger shama said...

ek छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ वो भस्म नहीं होता
Sundar!

February 17, 2010 at 5:47 PM  
Blogger kshama said...

Tahe dilse swagat hai...

February 17, 2010 at 6:24 PM  
Blogger Amit K Sagar said...

बहुत अच्छा लिखा है आपने!
जारी रहें.
---
[उल्टा तीर]

February 20, 2010 at 1:18 PM  
Blogger मनीषा said...

bahut hi pyare aur masoom iltaja hai apki

February 24, 2010 at 7:31 PM  

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