मसाइल माँजते हैं
मुझे हैरत नहीं कि
वक्त मुश्किल आ गया है
मेरी शोहरत पे यूँ तो
हर किसी को रक्श आजाता
मगर एक जख्म बजाहिर हो गया है ।
कि
जिससे हर्फे तसल्ली दोस्तों को
मिल गई है।
अब इस से मुश्किल और फिर क्या वक्त होगा।
।।।।
सुनो हम पर मुहब्बत का मुकदमा चल नहीं सकता
दिवाला ओर दिवानापन मेरी सूरत पे चस्पा हैं।
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