yatra

Wednesday, January 13, 2010

नैना ठग लेंगे

जो गम होंगे तो कुछ किस्से कहने को रह जायेंगे .
उम्र कटेगी गिरते पड़ते ,हम दरिया कहलायेंगे .
ऊपर वाला बड़ा खिलाडी ये तय है वो जीतेगा
हम हारेंगे हार के यारों फिर मंदिर को जायेंगे
ये भी कहने का दिल है की
कभी आह लब पे मचल गए ,कभी अश्क आँख से ढल गए
ये तुम्हारे गम के चराग हैं कभी बुझ गए, कभी जल गए

जो फना हुए गम-a- इश्क में ,उन्हें ज़िन्दगी का न गम हुआ
जो न अपनी आग में जल सके, वो पराई आग में जल गए


दर्द की दास्ताँ है प्यारे ..अपनी अपनी जुबान है प्यारे

दिल हूँ हूँ करे...... .घबराये ...

डुबोया मुझ को होने ने , न होता में तो क्या होता
हुई मुददत के ग़ालिब मरगया.. पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना कि ..यूँ होता तो क्या होता ....

कि यूँ होता तो क्या होता ॥


नैना ठग्लेंगे....

1 Comments:

Blogger seema gupta said...

very impressiveexpressions...very well said

regards

May 12, 2010 at 12:12 PM  

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