एक मुलाक़ात
आज आप से मिलकर अच्छा लगा । कहाँ तक आप गए । पूरी एक कमिश्नरी की सदारत आप के हाँथ में रही और आज एक रूमानी ख्वाइश के इर्द गिर्द तसल्ली तलाश कर खुश ही दिखे । यूँ मैं नहीं समझ पारहा हूँ की जिस काम से आप से मिलने गया था वो हो पायेगा या नहीं पर मन एक चीज देखकर बहुत हैरान है की कैसे होता है जब एक वक़्त होता है सूरज आपके आंगन में पनाह लेता है और एक वक़्त ऐसा भी जब आप के फ्लैट मैं सूरज की शायद ही कोई किरण आती हो ॥ आप दो रह जाते हैं । और सबसे बड़ी बात बिना किसी गिला शिकवा के अपने आप में डूबे ।
बहुत छोटी जिंदगी ।
बहुत ज़ल्दी गुज़र जाएँ गे सारे पड़ाव
जवानी ..शोहरत ओहदा का दौर यूँ फुर्र हो जायेगा ,
इतराना इनपर कैसा
आज बहुत सोचा .... कमाना क्या है ? और गंवाना क्या ?
2 Comments:
kaisa har.............bade dino baad mainey bhi kalam to nahin par mouse click kiya hai.........bardasht kar lena
bade dino bad apko pada pr............
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home